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यूपी: हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद SDM ने शख्स को 3 दिन हिरासत में रखा, अब राज्य सरकार को देना होगा मुआवजा

प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक शख्स को 3 दिनों तक गैरकानूनी हिरासत में रखने के कारण 25,000 रुपये के मुआवजे का भुगतान करने का निर्देश दिया. जौनपुर में उप-जिला मजिस्ट्रेट (एसडीएम) की कुछ चूकों के कारण शख्स को अवैध हिरासत में रखा गया था.  

एक रिपोर्ट के मुताबिक रमेश चंद गुप्ता बनाम राज्य मामले में हाईकोर्ट ने एक आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला दिया. हाईकोर्ट को बताया गया था कि रमेश गुप्ता को जनवरी 2022 में हिरासत में लिया गया था. जब जौनपुर पुलिस ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 151 (संज्ञेय अपराध को रोकने के लिए गिरफ्तारी), 107 (शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा) और 116 (जांच) का जिक्र करते हुए कार्रवाई की थी.

जस्टिस सिद्धार्थ और जस्टिस सुरेंद्र सिंह की पीठ ने पाया कि जब 10 जनवरी को गुप्ता को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया था, तब एसडीएम ने कानून के खिलाफ काम किया था. इसके बाद हाईकोर्ट ने 10 जनवरी से 13 जनवरी 2022 के बीच गैरकानूनी हिरासत के लिए राज्य सरकार को गुप्ता को मुआवजा देने का आदेश दिया. हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया कि याचिकाकर्ता को 10.01.2022 से 13.01.2022 तक प्रतिवादी संख्या 3 (एसडीएम) द्वारा अवैध निरोध के लिए 25,000 रुपए के मुआवजे और 10,000 रुपए के मुकदमेबाजी खर्च का हकदार माना जाता है.

इस मामले में गौरतलब है कि राज्य पुलिस ने 2021 में गुप्ता के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की थी. जिसमें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147 (दंगा करने की सजा), 427 (शरारत), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान), 452 (आवास-अतिक्रमण), 323 (चोट), 354 (महिला से छेड़छाड़ या किसी महिला की लज्जा भंग करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल) और 506 (आपराधिक धमकी) का उल्लेख किया गया था. बाद में हाईकोर्ट ने गुप्ता के पक्ष में एक आदेश पारित किया. जब उसने यह कहते हुए एक रिट याचिका दायर की कि उसे इन अपराधों के संबंध में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, क्योंकि इन अपराधों में सात साल या उससे कम की जेल की सजा का कानून है.