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भूपेंद्र यादव ने फसल विविधीकरण पर 2440 करोड़ का जिक्र किया जबकि सिर्फ पंजाब में ही इस साल करीब 39000 करोड़ की धान की खरीद हुई है, मंत्री का यह बयान किसानों के साथ मजाक है – कंग
चंडीगढ़, 8 दिसंबर: आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब ने केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के संसद में पंजाब पर दिए बयान की निंदा की और कहा कि उन्होंने संसद में पंजाब संबंधी झूठे तथ्य पेश किए। उनका बयान पंजाब को बदनाम और अपमान करने वाला है।
शुक्रवार को चंडीगढ़ पार्टी मुख्यालय में मीडिया को संबोधित करते हुए आम आदमी पार्टी पंजाब के मुख्य प्रवक्ता मलविंदर सिंह कंग ने पत्रकारों को भूपेंद्र यादव का बयान सुनाया और कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार की नीति है कि पंजाब को कुछ देना नहीं है, उल्टे बदनाम करना है और बुरा भला कहना है।
कंग ने कहा कि फसल विविधीकरण पंजाब की जरूरत है। इससे पंजाब में पानी और पराली दोनों समस्या खत्म होगी। इसलिए केंद्र सरकार फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए पंजाब को स्पेशल पैकेज दे।
कंग ने कहा कि भूपेंद्र यादव ने संसद में हरियाणा और पंजाब की तुलना की जबकि पंजाब में हरियाणा के मुकाबले करीब 3 गुणा ज्यादा क्षेत्र में धान की खेती होती है। पंजाब में करीब 32 लाख हेक्टेयर में धान की खेती होती है। वहीं हरियाणा में सिर्फ 12 लाख हेक्टेयर में ही होती है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के प्रयासों की बदौलत पंजाब में पराली जलाने के मामले में पिछले साल की तुलना में 56 प्रतिशत की कमी आई है।
उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने पराली की समस्या से निपटने के लिए किसानों को प्रति एकड़ ₹2500 देने का मसौदा केंद्र सरकार को सौंपा है, जिसमें पंजाब सरकार 1000 रु देगी और 1500 केंद्र सरकार से मांग की है। इसमें दिल्ली सरकार भी 500 देने को तैयार है। इस हिसाब से केन्द्र को सिर्फ 1000 ही देने है। फिर भी वह इस मांग को जानबूझकर खारिज कर रही है। जबकि यह स्कीम लागू होने के बाद पंजाब में काफी हद तक पराली की समस्या खत्म हो जाएगी।
फसल विविधीकरण पर भूपेंद्र यादव के जवाब पर कंग ने कहा कि उन्होंने इसके लिए 2440 करोड़ रुपए केन्द्रीय फंड का जिक्र किया जबकि सिर्फ पंजाब में ही इस साल करीब 39000 करोड़ रुपए की धान की खरीद हुई है। मंत्री का यह बयान देश के किसानों के साथ मजाक है।
कंग ने कहा कि चावल पंजाब का भोजन नहीं है फिर भी देश का खाद्य भंडार भरने के लिए पंजाब के किसान धान की खेती करते हैं। इसके कारण पंजाब का पानी काफी नीचे चला गया है। कई जगहों पर तो पानी की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है।
चूंकि धान के फसल पर ही ठीक-ठाक एमएसपी मिलती है, इसलिए पंजाब के किसानों को मजबूरन धान ही उपजाना पड़ता है। जबकि पंजाब की मिट्टी में सभी फसल उपज सकती है और यहां के किसान गेहूं चावल से लेकर सब्जी और फल भी उपजाने में सक्षम हैं। इसलिए केंद्र सरकार को पंजाब को दोष देने के बजाय फसल विविधीकरण के लिए स्पेशल पैकेज देना चाहिए।
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