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अनियमितताओं के आरोप में पंजाब फार्मेसी कौंसिल के दो पूर्व रजिस्ट्रार और सुपरीटेंडैंट गिरफ्तार

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विजिलेंस ब्यूरो ने डी-फार्मेसी सर्टिफिकेट जारी करने को लेकर की कार्रवाई

खबर खास,चंडीगढ़ :

पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने पंजाब स्टेट फार्मेसी कौंसिल में बड़े घोटाले का पर्दाफाश करते हुए दो पूर्व रजिस्ट्रारों और एक सुपरीटेंडैंट को कथित तौर पर निजी फार्मेसी संस्थाओं के सहयोगसे उम्मीदवारों की रजिस्ट्रेशन करने और फार्मासिस्टों को सर्टिफिकेट जारी करने से सम्बन्धित अनियमितताओं के आरोप में गिरफ्तार किया है। इस संदर्भ में आज, शनिवार को राज्य विजिलेंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि गिरफ्तार किए गए कर्मचारियों में प्रवीन कुमार भारद्वाज और डॉ. तेजबीर सिंह (दोनों पूर्व रजिस्ट्रार), और अशोक कुमार लेखाकार (मौजूदा सुपरीटेंडैंट) शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि प्रवीन कुमार भारद्वाज ने 2001 से 2009 और 24 दिसंबर 2013 से 25 मार्च 2015 तक पीएसपीसी के रजिस्ट्रार के तौर पर सेवाएं निभाईं, जबकि डॉ. तेजबीर 23 अगस्त 2013 से 24 दिसंबर 2013 तक इस पद पर रहे। विजिलेंस जांच के अनुसार लेखाकार अशोक कुमार भी इस घोटाले में शामिल था।
उन्होंने बताया कि जांच के दौरान फार्मासिस्टों की रजिस्ट्रेशन के दौरान सत्यापन प्रक्रिया में लापरवाही का पता लगा है। इसके अलावा सामान्य निरीक्षण के दौरान कई नकली डी-फार्मेसी सर्टिफिकेट का भी पता लगा है। इस जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि पंजाब के 105 फार्मेसी कॉलेजों में चल रहे डी-फार्मेसी कोर्स के लिए दाखि़ला प्रक्रिया के दौरान उक्त आरोपियों द्वारा सख्त प्रोटोकोल और अनिवार्य शैक्षिक योग्यताओं को अनदेखा किया गया था।

आरोप है कि निजी संस्थाओं में डी-फार्मेसी कोर्स में दाखिले में खाली रह जाने वाली सीटों पर इन अधिकारियों और पीएसपीएस के कर्मचारियों की मिली भगत से इन निजी संस्थानों ने अन्य राज्यों के छात्रों को अनिवार्य माइग्रेशन सर्टिफिकेट लिए बिना ही बड़ी रिश्वत लेकर कथित तौर पर दाखिला दिया।
प्रवक्ता ने बताया कि जांच के दौरान यह बात भी सामने आई है कि इन लोगों की मिलीभगत से माईग्रेशन सर्टिफिकेट और 10+2 सर्टिफिकेट के सत्यापन के बिना ही निजी फार्मेसी कॉलेजों ने दाखिलों की इजाजत दी।

इसके अलावा, भारत में काउंसिल ऑफ बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (सीओबीएसई) द्वारा मान्यता प्राप्त शिक्षा बोर्डों द्वारा जारी सर्टिफिकेट की मंजूरी और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के सम्बन्ध में अनियमितताएं सामने आई हैं। पीएसपीसी के अधिकारियों और कर्मचारियों ने प्राईवेट कॉलेजों के प्रिंसिपल और प्रबंधकों की मिलीभगत के साथ इन उम्मीदवारों की रजिस्ट्रेशन करवा कर सर्टिफिकेट जारी किये और ऐसे नकली सर्टिफिकेट के आधार पर उनको अलग-अलग विभागों में नौकरी मिली या मेडिकल की दुकानें स्थापित करने में मदद की।

उन्होंने कहा कि आरोपी प्रवीण कुमार को 31 मार्च 2011 को फर्जी दाखिलों नकली सर्टिफिकेटों, रिकार्ड में हेराफेरी और डिस्पैच रजिस्टर में गलतियों के आरोप में निलंबित कर दिया गया था। हालांकि बाद में उसे 24 दिसंबर 2013 को रजिस्ट्रार के तौर पर दोबारा नियुक्त कर दिया था। लेकिन 25 मार्च 2015 को हाईकोर्ट की रिट पटीशन के कारण उसकी सेवाओं को समाप्त कर दिया गया था।
प्रवक्ता ने बताया कि डायरैक्टर, चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान (डी.आर.एम.ई.), और अमृतसर, फरीदकोट और पटियाला के मेडिकल कॉलेजों द्वारा किए गए सत्यापन के दौरान दाखि़लों और पीएसपीसी की रजिस्ट्रेशन प्रक्रियाओं में काफ़ी अनियमितताओं का पता लगा। अमृतसर और फरीदकोट के कॉलेजों की रिपोर्टों ने पीएसपीसी में दाखि़लों और रजिस्ट्रेशन में हेराफेरी का खुलासा किया है।

जांच के दौरान 2005 से 2022 तक 143 छात्रों के नकली सर्टिफिकेट का हुआ पर्दाफाश
उन्होंने आगे बताया कि जांच के दौरान 2005 से 2022 के दरमियान 143 विद्यार्थियों के नकली सर्टिफिकेट का पर्दाफाश हुआ है। इन विद्यार्थियों ने पंजाब तकनीकी शिक्षा बोर्ड के अधिकारियों/कर्मचारियों के साथ अपने संबंधों का फ़ायदा उठाते हुए प्राईवेट कॉलेजों में डी-फार्मेसी के डिप्लोमे मुकम्मल किये।

पीएसपीसी सत्यापित रिपोर्टों पर टिप्पणियां देने में रहा असफल

पी.एस.पी.सी. को 2016 से 2023 तक सत्यापित रिपोर्टों पर टिप्पणियों की विनती करने सम्बन्धी कई पत्र भेजे गए, परन्तु इसके बावजूद पीएसपीसी लम्बित जांच का हवाला देते हुए ज़रूरी टिप्पणियाँ देने में असफल रहा। इसके अलावा, प्रदान की गई सूचियों की अनुपस्थिति के कारण कुछ जिलों की रिपोर्टों की पुष्टि करने में सरकारी मेडिकल कॉलेज पटियाला की भूमिका भी अस्पष्ट रही है। कुल 3078 सत्यापनों में से, पीएसपीसी ने पहचाने गए फर्जी दस्तावेज़ों के बारे में कोई जानकारी दिए बिना केवल 453 फार्मासिस्टों के बारे में टिप्पणियाँ दी हैं।

दूसरे राज्यों के छात्रों के संबंध में अनियमितताओं का भी हुआ खुलासा
इसके अलावा, बाहर के राज्यों के शिक्षा बोर्डों से 10+2 करने के बावजूद पंजाब राज्य तकनीकी शिक्षा बोर्ड और प्राईवेट कॉलेजों से डिप्लोमा पूरा करने के उपरांत डी-फार्मेसी सर्टिफिकेट प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों संबंधी भी अनियमितताओं का पता लगा, जो पीएसपीसी द्वारा सत्यापित और रजिस्ट्रेशन के मौके पर की गई गलतियों को दिखाता है।

फार्मासिस्ट रजिस्ट्रेशन के लिए हर आवेदन की पड़ताल अनिवार्य
फार्मेसी कौंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई), नयी दिल्ली के एक पत्र में, फार्मासिस्ट रजिस्ट्रेशन के लिए हरेक आवेदन की पड़ताल करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया हुआ है, जिसमें शैक्षिक प्रमाण पत्रों के सत्यापन और फार्मेसी एक्ट 1948 के अंतर्गत कानूनी शर्तों की पालना करना शामिल है, परन्तु पीएसपीसी रजिस्ट्रार और कर्मचारियों ने इन अनिवार्य शर्तों को बिल्कुल नजरअन्दाज कर दिया। इसके अलावा, यह पता लगा कि प्रवीन कुमार भारद्वाज ने समकालीन समय के रजिस्ट्रार का पद न होने के बावजूद कथित तौर पर हिमाचल स्टेट फार्मेसी कौंसिल के विद्यार्थियों के लिए दो फार्मेसी सर्टीफिकेटों पर दस्तखत किये थे।

मामला दर्ज, मामले से जुड़े अधिकारी और निजी कॉलेजों की भूमिका की भी होगी जांच
विजिलेंस ब्यूरो ने बीते रोज इस संदर्भ में भादंसं की धारा 420, 465, 466, 468, 471, 120-बी के अंतर्गत ब्यूरो के थाना आर्थिक अपराध शाखा लुधियाना में मुकदमा दर्ज किया गया है। अब विजिलेंस द्वारा और अधिक पड़ताल के दौरान पीएसपीसी के और अधिकारियों, कर्मचारियों और क्लर्कों के साथ-साथ प्राईवेट कॉलेजों के साथ जुड़े व्यक्तियों की भूमिकाओं की भी जांच की जायेगी।

 

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