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उत्तराखण्ड का एक ऐसा चमत्कारी मन्दिर जहाँ पत्र भेजकर होती है मुरादें पूरी,विदेशों से आते है श्रद्धालु

वसीम अब्बासी

उत्तराखंड राज्य देवभूमि के नाम से जाना जाता है। ऐसी भूमि जहां देवी-देवता निवास करते हैं। यहां हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड राज्य के नैनीताल जिले स्थित भवाली से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर बसे सुरम्य, रमणीक, शांत और धार्मिक स्थल ‘घोड़ाखाल’ की। इस मंदिर को ‘घंटियों के मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर में प्रवेश करते ही आपको अनगिनत घंटियांं देखने को मिलेंगी। मान्यतानुसार भक्तों की मनोकामना पूरी होने के बाद वे गोलू देवता मंदिर में घंटी बांध के जाते हैं। इन घंटियों की गूंज वातावरण में एक सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती है।

वहीं गोलू मंदिर में भक्त मन्नत मांगने के लिए चिट्ठी का प्रयोग करते हैं। मुरादें पूरी हो इसके लिए लोग गोलू देवता को चिट्ठी लिखते हैं। ये चिट्ठियां भी आपको मंदिर परिवेश में देखने को मिलेंगी। मंदिर के चारों ओर बंधी ये घंटियां और कागजों पर लिखी मन्नतें इस बात का प्रतीक है कि लोगों की इस मंदिर से कितनी गहरी आस्था जुड़ी है। गोलू देवता लोगों को तुरंत न्याय दिलाने के लिए भी प्रसिद्घ हैं। इस कारण उन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता है।

मान्यतानुसार जिनको कहीं न्याय नहीं मिलता, उन्हें इस मंदिर में आकर न्याय मिल जाता है। कई लोग तो स्टांप पेपर पर लिखकर गोलू देवता से अपने लिए न्याय की गुहार लगाते हैं। इस मंदिर की मान्यता ना सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी है।

उत्तराखंड का एक ऐसा मंदिर जहां चिट्ठी लिखकर होती है मुराद पूरी, भक्तों की है प्रगाढ़ आस्था,उत्तराखंड राज्य देवभूमि के नाम से जाना जाता है। ऐसी भूमि जहां देवी-देवता निवास करते हैं। यहां हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड राज्य के नैनीताल जिले स्थित भवाली से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर बसे सुरम्य, रमणीक, शांत और धार्मिक स्थल ‘घोड़ाखाल’ की। इस मंदिर को ‘घंटियों के मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर में प्रवेश करते ही आपको अनगिनत घंटियांं देखने को मिलेंगी। मान्यतानुसार भक्तों की मनोकामना पूरी होने के बाद वे गोलू देवता मंदिर में घंटी बांध के जाते हैं। इन घंटियों की गूंज वातावरण में एक सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती है।

वहीं गोलू मंदिर में भक्त मन्नत मांगने के लिए चिट्ठी का प्रयोग करते हैं। मुरादें पूरी हो इसके लिए लोग गोलू देवता को चिट्ठी लिखते हैं। ये चिट्ठियां भी आपको मंदिर परिवेश में देखने को मिलेंगी। मंदिर के चारों ओर बंधी ये घंटियां और कागजों पर लिखी मन्नतें इस बात का प्रतीक है कि लोगों की इस मंदिर से कितनी गहरी आस्था जुड़ी है। गोलू देवता लोगों को तुरंत न्याय दिलाने के लिए भी प्रसिद्घ हैं। इस कारण उन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता है।

मान्यतानुसार जिनको कहीं न्याय नहीं मिलता, उन्हें इस मंदिर में आकर न्याय मिल जाता है। कई लोग तो स्टांप पेपर पर लिखकर गोलू देवता से अपने लिए न्याय की गुहार लगाते हैं। इस मंदिर की मान्यता ना सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी है।

वैसे तो साल भर देश-विदेश से मंदिर में पूजा अर्चना करने श्रद्धालुओं का आना लगा रहता है लेकिन नवरात्रों में यहां भक्त भारी संख्या में पहुंचते हैं।घोड़ाखाल जहां अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विख्यात है वहीं यह आध्यात्म व प्रमुख धार्मिक स्थल भी है।