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सिख दुल्हनों के लावां के दौरान लहंगा पहनने पर लगा प्रतिबंध

चंडीगढ़ : सिख धर्म में होने वाली शादियों में लावां के दौरान सिख दुल्हनें अब लहंगा नहीं पहन पाएंगी। यह प्रस्ताव पारित किया है तख्त श्री हजूर साहिब, नांदेड साहिब के पांच सिंह साहिबानों ने। सिंह साहिबानों ने सिख समुदाया से इन दिशानिर्देशों का पालन करने का आग्रह किया है। पालन न करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। शनिवार को आए इस फैसले का शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने स्वागत किया है।

मीडिया रिपोर्टस की मानें इसमें कहा गया है कि लावां के दौरान सिर पर चुन्नी भी अनिवार्य होनी चाहिए। जत्थेदारों ने कहा है कि भारी लहंगा पहनने से दुल्हन को श्री गुरु ग्रंथ साहिब के सामने नतमस्तक होने में दिक्कत पेश आती है।

इसके अलावा उन्होंने प्रस्ताव में कहा है कि शादी के कार्ड पर दूल्हे और दुल्हन का पूरा नाम छपा होना चाहिए और सिंह व कौर के साथ ही छपा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अकसर देखा गया है कि विवाह के वक्त लड़की को फेरों के लिए लाया जाता है तो लड़की के सिर पर फूलों के छत्र बनाकर लाया जाता है जो ठीक नहीं है। दुल्हन पर फूलों की वर्षा को लेकर भी मनाही की गई है।

डेस्टिनेशन वेडिंग और मैरिज पैलेस में श्री गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूप ले जाने पर पहले ही लगी है पाबंदी

गौर रहे कि इससे पहले श्री अकाल तख्त साहिब पर पांच सिंह साहिबानों ने डेस्टिनेशन वेडिंग पर आनंद कारज करने पर पूर्ण रोक लगाई थी। इसे सिख मर्यादा के खिलाफ बताया गया था। इस फैसले के मुताबिक अब कोई भी व्यक्ति अपने किसी परिवार के सदस्य का विवाह समुद्र किनारे या किसी वेडिंग डेस्टिनेशन पर श्री गुरु ग्रंथ साहिब की हजूरी में नहीं करवा सकेगा। वहीं,पूर्व में मैरिज पैलेस में भी श्री गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूप ले जाकर वहां आनंद कारज करने पर पाबंदी लगी हुई है।

कपूरथला के गांव भादस में पहले ही लागू है यह नियम

यहां यह उल्लेखनीय है कि इसी साल कपूरथला के भादस गांव में गुरुद्वारे में होने वाली शादियों को लेकर कुछ नियम तय किए गए थे। इनमें एक नियम यह भी था कि गुरुद्वारे में होने वाली शादियों में लावां फेरे के दौरान दुल्हनों को लहंगा पहनने की अनुमति नहीं होगी।