देहरादून/ जी हां वैसे जनपद मे मेले का आयोजन होना एक आम बात हो चुकी हैं जहां लोगों को मनोरंजन के लिए ठेकेदारो द्वारा छोटे छोटे मेले का आयोजन किया जाता हैं।मेले के आयोजन का स्थानीय नागरिक एवं बच्चे भी भरपूर आनंद लेते जहां भी मेले का आयोजन किया जाता हैं वहां कहीं ना कहीं स्थानीय निवासी बच्चों के चेहरे पर मेले के आयोजन की खुशी अलग ही देखी जा सकती हैं।लेकिन डिफेंस काँलोनी एमडीडीए समीप दुर्गा मंदिर शिवनगर केदारपुरम के पार्क मे लगने वाले मेले की बात बिल्कुल ही अलग है जहां समाजसेवीका सुषमा कुकरेती एंव स्थानीय निवासी ने मानीय सिटी मजिस्ट्रेट साहब से पार्क में चल रहे मेले के आयोजन पर लगातार रोक लगाने की मांग कर रहे है।स्थानीय निवासी का कहना हैं पार्क मे चारो ओर काँलोनी बनी हुई हैं मेले के आयोजन से शोर गुल बहुत रहता हैं जिससे हमारे बच्चों को पढाई मे भी दिक्कत आ रही है कालोनी मे शुगर पेशेंट मरीज भी रहते हैं।जो रोज सुबह पार्क मे जाते हैं और मेले के आयोजन होने से काँलोनी मे असमाजिक तत्वों का भी आना जाना लगा रहा है।
वहीं पार्क मे बने मंदिर की पंडिताइन ने मेले के आयोजन को गलत बताते हुए मेले पर रोक लगाने की मांग की है।उनका कहना हैं कि हमारे सावन के सोमवार चलना रहे है पार्क मे लगे मेले के कारण श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर में आने में भी कठिनाइयां हो रही है।वहीं मेले मे सभी धर्मों के लोगों का आना जाना लगा रहता हैं चंद पैसो के लालच मे आकर मेला ठेकेदार के द्वारा हमारी आस्था के साथ खिलवाड़ किया जा रहा हैं।
*बड़ा सवाल* आखिर स्थानीय निवासी के विरोध के बावजूद सम्बंधित विभागों द्वारा कैसे रिपोर्ट लगायी गयी जब मेले के आयोजन के लिये ठेकेदार द्वारा मानीय सिटी मजिस्ट्रेट साहब को एक लेटर खिलकर अनुमति लेनी होती हैं और मजिस्ट्रेट साहब सम्बंधित विभागों जैसे पुलिस विभाग ट्रैफिक फायर बिग्रेड एंव अन्य विभागों से (NOC )मांगी जाती हैं कि मेले के आयोजन से किसी को किसी भी तरहा की कोई आपत्ति तो नही हैं और सभी विभागो द्वारा अपनी अपनी रिपोर्ट बनाकर मजिस्ट्रेट साहब को देदी जाती हैं सभी विभागों की (NOC) के बाद मजिस्ट्रेट साहब के द्वारा ठेकेदार को मेला लगाने की अनुमति देदी जाती हैं लेकिन स्थानीय निवासीयो के लगातार विरोध प्रदर्शन के बाद अनुमति मिलना अपने आप मे एक बड़ा सवाल हैं।