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इलाहाबाद हाईकोर्ट: पॉलिसी देने के बाद दावा खारिज नहीं कर सकती बीमा कंपनी!

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* अभिमनोज
इलाहाबाद हाईकोर्ट का कहना है कि- बीमा कंपनी प्रीमियम ले लेने के बाद इस आधार पर दावा खारिज नहीं कर सकती है कि- पॉलिसी लेते समय जरूरी तथ्य नहीं बताए गए थे.
खबरों की माने तो…. एक मामले में अदालत ने एलआइसी की कार्रवाई को मनमानी करार देते हुए विवादित आदेशों को खारिज कर दिया.
खबरों पर भरोसा करें तो…. न्यायमूर्ति शेखर बी. सराफ और न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित की खंडपीठ ने कानपुर निवासी संतोष कुमार की याचिका पर एलआइसी को निर्देश दिया कि- वह बीमित राशि का भुगतान करे.
अदालत का कहना है कि- यदि किसी कालम को छोड़े जाने के बाद भी बीमा कंपनी प्रीमियम स्वीकार करती है, पॉलिसी बांड जारी करती है तो वह बाद में बीमाधारक के दावे को अस्वीकार नहीं कर सकती, बीमाकर्ता की यह जिम्मेदारी है कि पॉलिसी के विवरणों को सत्यापित करे.
खबरें हैं कि…. याची की पत्नी मीरा देवी ने भारतीय जीवन बीमा निगम से 15 लाख रुपये का बीमा 16 अगस्त 2018 को एक एजेंट के जरिये कराया था, जिसका 1,15,416 रुपये का प्रीमियम भरा गया.
इस पालिसी में याची नामिनी था.
आठ जुलाई 2019 को पालिसीधारक की हार्टअटैक से मौत हो गई. 
याची ने इससे संबंधित देय बीमा राशि के लिए आवेदन किया, लेकिन इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि बीमाधारक ने पालिसी के लिए आवेदन करते समय अपनी पिछली पॉलिसी के बारे में कुछ जानकारी छिपाई थी.
इसके बाद याची
इलाहाबाद हाईकोर्ट
पहुंचा, जहां अदालत ने एलआइसी को निर्देश दिया कि- वह बीमित राशि का भुगतान करे!