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हरियाणा में सब इंस्पेक्टर भर्ती में गड़बड़ी के बाद भी नहीं हुई रद्द, उम्मीदवारों में कोई भतीजा कोई रिश्तेदार


चंडीगढ़ | हरियाणा में 16 साल पहले पुलिस इंस्पेक्टर की भर्ती हुई थी. जब यह भर्ती हुई थी उस समय भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री थे. इस भर्ती में धांधली को लेकर एक याचिका दायर की गई थी. पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के शासन के दौरान 16 साल पहले भर्ती हुए पुलिस इंस्पेक्टर को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab & Haryana High Court) से बड़ी राहत मिली है. हाई कोर्ट ने अपने आर्डर में भर्ती प्रक्रिया में कुछ अनियमितताओं को स्वीकार करते हुए भी चयन को रद करने से मना कर दिया है.

POLICE 3

साल 2009 में हुई थी भर्ती

जस्टिस जगमोहन बंसल का कहना है कि चयन प्रक्रिया में गड़बड़ियां तो हुईं, ऐसी कोई अवैधता सामने नहीं आई जो पूरी भर्ती को निरस्त करने का आधार बन सके. करनाल निवासी अमित कुमार व अन्य ने अपनी याचिका में बताया कि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) ने 2009 में हरियाणा पुलिस में 20 इंस्पेक्टरों को भर्ती किया था. इस भर्ती में व्यापक स्तर पर धांधली हुई थी. कुछ चयनित उम्मीदवारों ने परीक्षा में व्हाइटनर और स्क्रैच का इस्तेमाल किया जोकि परीक्षा नियमों के विरुद्ध था.

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उम्मीदवारों ने जानबूझकर नहीं किया कोई गलत कार्य

दो उम्मीदवारों पर परीक्षा में हाजिर न होकर फर्जी तरीके से पास होने का आरोप भी लगाया गया है. कोर्ट के आदेश पर एक तीन सदस्यीय समिति बनाई गयी जिसने पूरे प्रकरण की जांच की थी. समिति ने रिपोर्ट में माना कि कई उत्तर पत्रकों पर व्हाइटनर और स्क्रैच के निशान थे, उसके बाद भी उन्हें जांचा गया. इसके साथ ही, यह भी पाया गया कि जिन उम्मीदवारों पर फर्जीवाड़े के आरोप थे. उनकी जांच फोरेंसिक विश्लेषण से होनी चाहिए, जो अब तक नहीं हुई है. कोर्ट ने माना कि चयनित उम्मीदवारों ने जानबूझकर कोई गलत काम नहीं किया.

इतनी पुरानी भर्ती को रद्द करना विफलता

कोर्ट के मुताबिक, उम्मीदवारों ने पिछले 16 सालों में सेवा में अच्छा प्रदर्शन किया और अब डीएसपी पद तक पदोन्नत हो चुके हैं. इतनी पुरानी भर्ती को अब रद करना न सिर्फ प्रशासनिक विफलता होगी, बल्कि इससे पुलिस में कार्यरत कर्मियों के मनोबल पर भी बुरा असर पड़ेगा. कोर्ट ने ‘राहत से ज्यादा नुकसान’ के सिद्धांत का पालन करते हुए कहा कि चयन को रद करना प्रॉब्लम का हल नहीं, बल्कि उससे बड़ी समस्या पैदा करना होगा. हाईकोर्ट ने साफ किया कि चयन प्रक्रिया में प्रक्रियात्मक त्रुटियां थीं मगर कोई गंभीर गैरकानूनी काम नहीं हुआ.

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टॉपर होने के बाद भी नहीं हुआ चयन

याचिकाकताओं द्वारा आरोप लगाए गए थे कि 20 में से 9 पद सामान्य वर्ग के थे. इन नौ पदों पर तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के रिश्तेदारी सहित अन्य राजनीतिक लोगों व अधिकारियों के रिश्तेदारों को ही नियुक्ति मिली है. याची ने लिखित परीक्षा में 200 में से 145 अंक हासिल किए थे. वह लिखित परीक्षा में टॉपर था, मगर उसे इंटरव्यू में 25 में से केवल 7 अंक दिए गए और उसे प्रतीक्षा में रख दिया गया, जबकि कम अंक वाले चहेतों को इंटरव्यू में अच्छे अंक देकर चयनित कर लिया गया.

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उम्मीदवारों में कोई भतीजा, कोई रिश्तेदार

जिन 9 अभ्यर्थियों का चयन किया गया है, उनमें हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा का भतीजा हरदीप सिंह भी शामिल है. अन्य चयनित अभ्यर्थियों में हरियाणा के तत्कालीन राज्यपाल के एडीसी जगप्रवेश दहिया का बेटा वरुण दहिया, विधायक आनंद सिंह डांगी का रिश्तेदार दीपक, तत्कालीन विधायक आनंद कौशिक का भतीजा नवीन शर्मा, हुड्डा के एक नजदीकी कार्यकर्ता और आइजी शेरसिंह का रिश्तेदार नवीन सांगू, हुड्डा की पत्नी आशा हुड्डा के एक नजदीकी रिश्तेदार अमरजीत सिंह का बेटा विपिन अहलावत, हिसार के एक कांग्रेस कार्यकर्ता का बेटा अजरुन राठी, हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के तत्कालीन चेयरमैन नंदलाल पूनिया का रिश्तेदार कमलजीत शामिल है.


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