चंडीगढ़ | कर्मचारी के दिव्यांग या मानसिक रूप से बीमार होने की स्थिति में उसे आर्थिक सहायता पर हरियाणा व पंजाब सरकार से जवाब तलब किया है. एक महिला कांस्टेबल 2 साल के लिए कोमा में चली गयी. उसके बाद, चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा उसका वेतन रोक दिया गया. इस मामले में पंजाब- हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab & Haryana Highcourt) ने उसे दिव्यांगता का प्रमाण पत्र देने के लिए पीजीआई का मेडिकल बोर्ड गठित करने का आदेश जारी किया है.
जुलाई 2021 के बाद प्रशासन ने रोका वेतन
कोर्ट ने यह भी पूछा है कि सेवा के दौरान असमर्थ हुए ऐसे कर्मचारियों के लिए सरकार की क्या नीति है. 11 सितंबर 2023 को एक समाचार पत्र में खबर प्रकाशित हुई थी कि एक महिला कांस्टेबल मानसिक बीमारी के चलते दो साल से कोमा में है. जुलाई 2021 के बाद प्रशासन ने उसका वेतन रोक दिया. पीजीआई में उस कांस्टेबल का इलाज चल रहा है. गंभीर बीमारी की वजह से वह चलने- फिरने व बोलने में असमर्थ है.
चंडीगढ़ पुलिस व हरियाणा और पंजाब को जवाब देने का आदेश
हाईकोर्ट ने संज्ञान लेकर कहा था कि कानूनन किसी भी कर्मचारी को विकलांग होने के बाद उसकी सेवा से मिलने वाले किसी लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है. हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ पुलिस के एसएसपी को आर्डर जारी किया था कि वह हलफनामा दायर कर कोर्ट को बताए कि क्या उसके पास कोई ऐसा प्रावधान है, जिसके तहत सेवा में रहते हुए नौकरी करने में असमर्थ कर्मचारियों की मदद की जा सके. हाईकोर्ट ने हरियाणा व पंजाब को भी आदेश दिया है कि वह भी जवाब दायर यह जानकारी दें कि उनके राज्य में इस प्रकार के मामलों के लिए क्या नीति बनाई गयी है.
गठित किया जाए मेडिकल बोर्ड
हाईकोर्ट का कहना है कि यह एक व्यापक मामला है इसलिए हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ को इस मामले में गंभीरता से विचार कर इस पर कार्रवाई करनी चाहिए. हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में अभी तक कांस्टेबल को दिव्यांगता का सर्टिफिकेट नहीं मिला है. ऐसे में मेडिकल बोर्ड गठित किया जाए ताकि उसे प्रमाणपत्र मिल सके.
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