चंडीगढ़ | पंजाब- हरियाणा हाई कोर्ट की तरफ से एक अहम आदेश दिया गया है. इस आर्डर में कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अगर कोई कर्मचारी लापता हो जाता है और 7 साल तक नहीं मिलता, तो उसके परिजन अनुग्रह राशि के पात्र रहेंगे. अंबाला निवासी भूपिंदर कौर ने याचिका में कहा था कि उनके पिता अंबाला (Ambala News) नगर समिति में चपरासी के रूप में कार्य करते थे.
1 मई 1990 को लापता हुआ कर्मचारी
31 अक्टूबर 1990 को वह सेवानिवृत्त होने वाले थे, मगर 1 मई 1990 से लापता हो गए. उनकी सेवानिवृत्ति की तिथि तक उनका कोई पता नहीं चल पाया. याचिका में उन्होंने बताया कि उन्हें 31 अक्टूबर 1990 से सेवानिवृत्त मानते हुए उनकी पत्नी को ग्रेच्युटी, अवकाश नकदीकरण और भविष्य निधि का भुगतान कर दिया गया. याचिकाकर्ता उस वक़्त विवाहित थी, मगर 1994 में उनके पति का निधन हो गया.
लापता मानते हुए मृत घोषित
वह अपनी मां पर निर्भर हो गई, जिनकी कोई इनकम नहीं थी. बाद में जब उनके पिता को लापता मानते हुए मृत घोषित कर दिया गया, तो उन्होंने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया. 25 अगस्त 1998 को प्रशासन ने यह कहते हुए उनकी अर्जी खारिज कर दी कि विधवा पुत्री को अनुकंपा नियुक्ति का कोई प्रावधान नहीं है.
7 साल बाद हुई मृत्यु की आधिकारिक घोषणा
हाईकोर्ट का कहना है कि उस वक़्त 1970 की पॉलिसी लागू थी, जिसके तहत लापता कर्मचारी के परिजनों को अनुग्रह राशि दी जानी चाहिए थी. कर्मचारी की मृत्यु की आधिकारिक घोषणा 7 साल बाद हुई. ऐसे में परिवार को यह राशि नहीं मिली. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कर्मचारी के लापता होने के सात साल बाद उसकी मृत्यु मानी जाती है और उसके परिजन अनुग्रह राशि के पात्र होते हैं. अदालत द्वारा कहा गया कि परिवार को 15,000 रुपये की राशि नहीं दी गई, जो 1970 की नीति के अनुसार मिलनी चाहिए थी.
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