चंडीगढ़ | आक्रामक बयानबाजी से अपनी ही सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाले उर्जा एवं परिवहन मंत्री अनिल विज (Anil Vij) पर क्या अब कार्रवाई करने की तैयारी हो रही है. हरियाणा में BJP कार्यकर्ताओं के बीच यह सवाल तैर रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि वरिष्ठ नेता अनिल विज की अपनी ही सरकार के खिलाफ बयानबाजी कोई पहली बार नहीं है.
कई बार जाहिर कर चुके नाराजगी
पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल के दौरान भी अनिल विज कई मौकों पर सरकार से असहमति रखने वाली बातें खुलकर कह चुके हैं. फिर नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाए जाने पर तो वो इतना ज्यादा नाराज हो गए थे कि खुद को वरिष्ठ नेता बताते हुए उनकी सरकार में काम करने से ही मना कर दिया था.
अब मुख्यमंत्री नायब सैनी के नेतृत्व वाली सरकार में अनिल विज ने मंत्री पद ग्रहण जरूर किया है लेकिन उनके विरोध का तरीका और ज्यादा आक्रामक हो गया है. दिल्ली विधानसभा चुनाव के बीच उन्होंने प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली और सीएम नायब सैनी को लेकर तल्ख टिप्पणियां की. जिसके बाद पार्टी हाईकमान ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था. पार्टी हाईकमान का मानना है कि चुनाव के दौरान बयानबाजी नाराजगी से ज्यादा अनुशासनहीनता का मामला है. अनिल विज को नोटिस प्रदेश लीडरशिप की ओर से जारी हुआ था लेकिन इसका जवाब उन्होंने केन्द्रीय नेतृत्व को भेजा है. इसमें भी उनके तेवर दिखे हैं.
2 मार्च बीतने का इंतजार
बीते 10 सालों में बीजेपी हाईकमान ने उन्हें कई मौके दिए लेकिन अब उनपर कार्रवाई की तलवार लटक रही है. कारण बताओ नोटिस भेजने के पीछे भी पार्टी की यही मंशा रही होगी कि यदि उनके तेवर नरम पड़े तो ठीक है वरना एक्शन लिया जाएगा. हरियाणा में 2 मार्च को निकाय चुनावों के लिए वोटिंग होगी. ऐसे में सरकार और संगठन नहीं चाहता है कि उससे पहले अनिल विज के खिलाफ कोई कार्रवाई अमल में लाई जाए.
अनिल विज का अंबाला शहर में अच्छा प्रभाव है. इसके अलावा, करनाल, कुरूक्षेत्र, यमुनानगर सहित पूरे प्रदेश में ही पंजाबी समुदाय के लोगों के बीच उनकी अच्छी पकड़ है. इसलिए निकाय चुनावों के बाद ही उनके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जा सकता है. फिलहाल, 2 मार्च तक अनिल विज के विरोधी नेताओं को भी चुप्पी साधने के लिए कहा गया है.
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