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राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्रदास को दी गई जलसमाधि

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अयोध्या. अयोध्या में राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्रदास को जल समाधि दी गई. उनके पार्थिव शरीर को 25-25 किलो बालू से भरी 4 बोरियों से बांधा गया. फिर सरयू की बीच धारा में शरीर को प्रवाहित कर दिया गया. आचार्य सत्येंद्रदास का बुधवार को 80 साल की उम्र में निधन हो गया था.

इससे पहले पार्थिव देह पालकी से लता मंगेशकर चौक होते हुए सरयू घाट लाया गया. इस दौरान उनके शिष्य प्रदीप व विजय साथ थे. पहले पार्थिव शरीर को सरयू में स्नान कराया गया. इसके बाद संत तुलसीदास घाट पर जल समाधि दी गई. दोपहर करीब 12 बजे सत्येंद्र दास का पार्थिव शरीर रथ पर रखा गया. फिर बैंड-बाजा के साथ अंतिम यात्रा शुरू हुई. इस दौरान लोगों ने फूल बरसा कर उन्हें अंतिम विदाई दी. श्रद्धालुओं की भीड़ के चलते आचार्य सत्येंद्रदास की अंतिम यात्रा राम मंदिर के सामने से नहीं निकाली गई.

आचार्य के अंतिम दर्शन के लिए सरयू घाट के किनारे हजारों लोग कई घंटे तक खड़े रहे. केंद्रीय मंत्री सतीश शर्मा व अयोध्या सांसद अवधेश प्रसाद ने भी आचार्य सत्येंद्र दास को श्रद्धांजलि दी. आचार्य सत्येंद्र दास ने एक दिन पहले 12 फरवरी को लखनऊ पीजीआई में अंतिम सांस ली. 3 फरवरी को ब्रेन हेमरेज के बाद उनको अयोध्या से लखनऊ रेफर किया गया था. अंतिम यात्रा में जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य, निर्वाणी अनिअखाड़ा के पूर्व श्री महंत धर्मदास, विधायक वेद गुप्ता, महापौर गिरीश पति त्रिपाठी, वशिष्ठ भवन के महंत राघवेश दास शामिल हुए.

ऐसे दी गई आचार्य सत्येंद्र दास को जल समाधि-

25-25 किलों की 4 बोरियों में बालू भरी गई. उन्हीं बोरियों के साथ आचार्य सत्येंद्र दास के पार्थिव शरीर को बांध दिया गया. इसके बाद सरयू की बीच धार में जाकर शव को प्रवाहित कर दिया गया. बालू बांधने का उद्देश्य यह है कि इससे पार्थिव शरीर उतराकर ऊपर न आए.