नई दिल्ली विधानसभा सीट (New Delhi Assembly seat)से आम आदमी पार्टी(Aam Aadmi Party) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल (National Convenor Arvind Kejriwal)की हार के पीछे वोटरों का शिफ्ट(Shift of voters) होना बड़ा कारण माना जा रहा है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के मतदाताओं का उनकी जीत में बड़ा योगदान था, लेकिन इस बार यह वोट आप से छिटककर दूसरी पार्टियों की ओर शिफ्ट हो गया। इनमें उच्च और मध्यम समेत अन्य वर्ग भी शामिल हैं। अभिषेक झा और रोशन किशोर की रिपोर्ट…
1. भाजपा-कांग्रेस की ओर झुकाव
लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में नई दिल्ली सीट पर आप का प्रदर्शन तुलनात्मक अलग है। केजरीवाल ने 2013, 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में लगातार नई दिल्ली सीट पर जीत हासिल की। हालांकि, 2014 के लोकसभा चुनावों में आप इस सीट पर दूसरे स्थान पर रही, जबकि 2019 के चुनावों में कांग्रेस और भाजपा के बाद तीसरे स्थान पर रही। केवल 2024 में ही आप-कांग्रेस गठबंधन ने वास्तव में नई दिल्ली क्षेत्र में जीत हासिल की। आंकड़े बताते हैं कि इस सीट पर शुरू से ही आप के समर्पित मतदाता कम थे। जीत की वजह केजरीवाल की लहर थी।
2. मतदाताओं की संख्या घटने से भी परिणाम प्रभावित हुए
2025 के चुनावों में नई दिल्ली विधानसभा सीट पर मतदाताओं के घटने-बढ़ने को लेकर तमाम दावे किए गए। नई दिल्ली उन 12 विधानसभा क्षेत्रों में से एक है, जहां 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद से मतदाताओं की संख्या में गिरावट आई है और दो में से केवल एक (दूसरी सीट दिल्ली कैंट है) जहां यह गिरावट 20 फीसदी से अधिक है। आप ने दिल्ली कैंट तो जीत ली, लेकिन नई दिल्ली हार गई। इस विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 2020 के विधानसभा चुनाव में 1,46,122 से घटकर 2025 के चुनाव में 1,08,574 रह गई है। यानी 37,548 वोटरों की संख्या घटी है। 2020 और 2025 के बीच कुल मतदान में गिरावट बहुत कम थी, केवल 14,499। इसका नतीजों पर भी असर पड़ा है।
3. मध्यम वर्ग का खिसकना वजह
नई दिल्ली क्षेत्र राजधानी के सबसे संपन्न इलाकों में से एक है, क्योंकि इसके बड़े हिस्से में या तो बहुत अमीर लोग लोग रहते हैं या फिर उच्च-निम्न रैंक वाले सरकारी कर्मचारियों के निवास हैं। 2020 में केजरीवाल को इस विधानसभा क्षेत्र में व्यापक समर्थन मिला था। फॉर्म 20 का उपयोग करके बूथ-वार डेटा के विश्लेषण से पता चलता है कि उन्होंने 2020 में नई दिल्ली क्षेत्र में 167 मतदान केंद्रों में से केवल 15 बूथ खोए थे, जिसमें औसत जीत का अंतर 8 प्रतिशत था, जिन 15 बूथों पर उन्होंने हार का सामना किया, उनमें से चार शहरी गांव के इलाके में थे और बाकी व्यापक रूप से नियोजित इलाकों में थे। 2025 के फॉर्म 20 के डेटा को आने में समय लगेगा, लेकिन नई दिल्ली सीट के परिणामों का चरणवार विश्लेषण भी दिखाता है कि केजरीवाल इस बार बहुत अधिक बूथ हारे हैं। वे पोस्टल बैलेट मतगणना में भी हार गए। इस बार मध्यम वर्ग के दूसरी पार्टियों की ओर चले जाने से केजरीवाल की हार हुई।