नई दिल्ली. साध्वी बनीं ममता कुलकर्णी ने महामंडलेश्वर की पदवी छोड़ दी है और महामंडलेश्वर के पद से इस्तीफा दे दिया है. ममता कुलकर्णी ने पदवी मिलने और पट्टाभिषेक होने के 18वें दिन ही इस्तीफा दे दिया है. इस बात की घोषणा उन्होंने खुद सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर की है.
ममता कुलकर्णी ने कहा, मैं महामंडलेश्वर, यामाई ममता नंदगिरी, इस पद से इस्तीफा दे रही हूं. आज किन्नर अखाड़े या दोनों अखाड़ों के बीच जो मुझे लेकर विवाद चल रहा है इसलिए मैं ये इस्तीफा दे रही हूं. ममता बोलीं, मैंने देखा कि मेरे महामंडलेश्वर होने से काफी लोगों को तकलीफ हो गई थी. चाहें वो शंकराचार्य हो कौन हो. कोई कहता है, एक शंकराचार्य ने कहा कि ये जो किन्नर अखाड़े हैं उनके बीच में ममता फंस गई. इन सब बातों को देखने के बाद मैं कहती हूं कि मेरे गुरु जिनके मार्गदर्शन में मैंने 25 साल तक तपस्या की है, वे श्री चैतन्य गगनगिरी महाराज हैं, वे एक महान संत थे. उनकी बराबरी में मुझे कोई दिखता ही नहीं है. सब झगड़ रहे हैं एक-दूसरे से. मेरे गुरु तो काफी ऊंचे हैं और उनके सानिध्य में हमने 25 साल तप किया है. मुझे किसी कैलाश में जाने की जरूरत नहीं. सारा ब्रह्मांड मेरे सामने है. ममता ने कहा, 25 साल से मैंने उनकी घोर तपस्या की है. लेकिन आज मेरे महामंडलेश्वर होने से जिनको समस्या हुई है, मैं उनके बारे में कम बोलूं तो अच्छा है. इनको ब्रह्मविद्या, इनको किसी चीज से कोई लेना-देना नहीं है. इनको पता ही नहीं है ये क्या होता है. मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि मैं लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का सम्मान करती हूं.
ममता ने अपनी बात खत्म करते हुए कहा, जहां तक पैसे के लेन-देन की बात है तो मुझसे 2 लाख रुपये मांगे गए थे, लेकिन मैंने महामंडलेश्वर और जगदगुरुओं के सामने कहा था कि मेरे पास 2 लाख रुपये नहीं हैं. तब महामंडलेश्वर जय अंबा गिरी ने अपनी जेब से 2 लाख रुपये निकालकर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को दिए थे. मैंने 25 साल से चंडी की अराधना की है. उन्होंने ने ही मुझे संकेत दिया कि मुझे इन सबसे बाहर हो जाना चाहिए.