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पंजाब- हरियाणा हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, दुर्घटना में अविवाहित बेटे की मृत्यु पर मुआवजे का हकदार होगा पिता


चंडीगढ़ | पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि अगर दुर्घटना में किसी के अविवाहित बेटे की मौत हो जाती है, तो उसके पिता मुआवजा राशि के हकदार होंगे. हाईकोर्ट ने माना कि बेटे की असमय मृत्यु से माता- पिता सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं और कोई भी मुआवजा राशि उस नुकसान की भरपाई नहीं कर सकती हैं.

HIGH COURT

लेकिन यह कहना कि पिता मुआवजा राशि का हकदार नहीं हैं क्योंकि वह मृतक की आय पर निर्भर नहीं था, उचित नहीं माना जा सकता है. खासकर मृतक जब अविवाहित था. पिता की केवल अनुमानित आय का आकलन किया जा रहा है, जो स्वीकार योग्य नहीं है.

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जस्टिस विक्रम अग्रवाल ने दिया आदेश

हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि मोटर वाहन दुर्घटना से जुड़े मुआवजे के मामलों में कुछ हद तक अनुमान लगाना आवश्यक होता है. परिवार की पृष्ठभूमि, मृतक की शिक्षा, व्यवसाय और अन्य सहायक कारकों को ध्यान में रखा जाना चाहिए. जस्टिस विक्रम अग्रवाल ने यह आदेश दो अलग- अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया.

इस याचिका पर सुनाया फैसला

यमुनानगर निवासी जोरा सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उनके 21 वर्षीय बेटे राजिंदर सिंह की सड़क दुघर्टना में मृत्यु हो गई थी. उन्होंने मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण द्वारा दी गई 2.6 लाख रुपये की मुआवजा राशि को बढ़ाने की मांग की थी. दूसरी ओर दुर्घटना में शामिल वाहन चालक बलविंदर सिंह ने दावा किया कि दुर्घटना में उसकी कोई गलती नहीं थी और मुआवजा कम किया जाना चाहिए.

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दावा अधिकरण ने अपने फैसले में कहा कि राजिंदर सिंह की मृत्यु बलविंदर सिंह की लापरवाही और तेज गति से गाड़ी चलाने के कारण हुई थी. अधिकरण ने मृतक की उम्र, शिक्षा और अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए 2.6 लाख रुपये का मुआवजा निर्धारित किया था. मृतक के पिता जोरा सिंह ने हाईकोर्ट में अपील कर मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग की थी.

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उन्होंने तर्क देते हुए कहा था कि उनका बेटा एक होनहार कानून छात्र था और उसका भविष्य उज्ज्वल था. दुर्भाग्यवश समय से पहले उसकी मृत्यु हो गई. जिससे माता- पिता को पूरी जिंदगी दुःख झेलना पड़ेगा.

आरोपित वाहन चालक ने तर्क दिया कि मृतक के पिता एक प्रतिष्ठित वकील हैं और वे अपने बेटे की आय पर निर्भर नहीं थे, इसलिए उन्हें मुआवजे का पात्र नहीं माना जाना चाहिए. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि मृतक के पिता को मुआवजा राशि से वंचित नहीं किया जा सकता है.


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