चंडीगढ़ | हरियाणा में कांग्रेस पार्टी (Haryana Congress) की अंतर्कलह निकाय चुनावों के दौरान भी सामने आ रही है. लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बाद अब निकाय चुनावों में कांग्रेस पार्टी के नेताओ के बीच गुटबाजी चरम सीमा पर है. कांग्रेस महासचिव एवं सिरसा लोकसभा सीट से सांसद कुमारी शैलजा सभी शहरी निकाय चुनाव पार्टी सिंबल पर लड़ने की पैरवी कर रही है, जबकि पूर्व सीएम भुपेंद्र हुड्डा गुट के नेताओं ने सिर्फ नगर निगम के चुनाव पार्टी सिंबल पर लड़ने की पैरवी की है.
लिस्ट को लेकर हुड्डा- शैलजा गुट आमने- सामने
कांग्रेस नेताओं की आपसी खींचतान के बीच शहरी निकाय चुनाव के लिए नियुक्त की गई पदाधिकारियों की लिस्ट में बदलाव किया गया है. पहले कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया ने जिला प्रभारी, सह प्रभारी, जिला संयोजक व सह संयोजक तथा जोनवार पदाधिकारियों की नियुक्तियां की थी, लेकिन अब अब प्रांतीय सह प्रभारियों जितेंद्र बघेल और प्रफुल्ल पटेल ने शहरी निकाय चुनाव के लिए ही पदाधिकारियों की अतिरिक्त सूची जारी की है. इस लिस्ट में कई जिलों में पिछले पदाधिकारियों में बदलाव किया गया है.
नगर परिषद् और नगर पालिका के चुनाव पार्टी सिंबल पर लड़ने या नहीं, यह फैसला कांग्रेस के दोनों सह- प्रभारी करेंगे. प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया से चर्चा के बाद उन्हें अपना फैसला सुनाना है. खास बात यह है कि प्रदेशाध्यक्ष उदयभान सिंह भी जिला प्रभारियों व सह- प्रभारियों की एक लिस्ट जारी कर चुके हैं, जिसे प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया खारिज कर इस पर रोक लगा चुके हैं.
दीपक बाबरिया ने जब अपनी तरफ से नई लिस्ट जारी की, तब उन्होंने प्रदेशाध्यक्ष को भरोसे में नहीं लिया था. कांग्रेस सांसद वरुण मुलाना ने बाबरिया की इस सूची पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस का पूरा संगठन बनाने की नसीहत दी थी. अब प्रदेशाध्यक्ष के साथ हुड्डा गुट की नाराज़गी को दूर करने के लिए ही सह प्रभारियों ने अतिरिक्त पदाधिकारियों की सूची जारी की है.
अवैध घोषित हुई उदयभान की लिस्ट
पिछले दिनों हरियाणा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष उदयभान सिंह द्वारा जारी की गई लिस्ट को दीपक बाबरिया ने रद्द करते हुए अवैध और अमान्य घोषित कर दिया था, जिसके बाद अब उन्होंने नई सूचियां जारी की थी. इसमें हुड्डा गुट का ज्यादा वर्चस्व नहीं है. इस लिस्ट में कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला समर्थित नेताओं को भी जगह दी गई है. अधिकतर ऐसे नेताओं को भी विभिन्न कमेटियों में एडजेस्ट किया गया था, जिन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिले अथवा किसी अन्य कारण से चुनावी रण में पराजित हुए थे.
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