प्रयागराज. महाकुम्भ के सेक्टर.17 में स्थित शक्ति धाम आश्रम में वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच 61 विदेशी श्रद्धालुओं ने जगद्गुरु साईं मां लक्ष्मी देवी से दीक्षा ली और सनातन धर्म को अपनाया. श्रीपंच निर्मोही अनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर त्रिवेणी दास महाराज ने बताया कि सनातन धर्म में आकर इन विदेशी श्रद्धालुओं के चेहरे पर अद्भुत शांति दिखाई दी है. सनातन धर्म ही आज के युवाओं को सही रास्ता दिखा सकता है और इसी वजह से लोग सनातन की तरफ आकर्षित हो रहे हैं.
बेल्जियम में अस्थि रोग चिकित्सा के क्षेत्र में काम करने वाली कैथरीन गिल्डेमिन ने कहा कि रोजमर्रा के जीवन की भागदौड़ ने उनके जीवन में तनाव काफी बढ़ा दिया था. व्यक्तिगत जीवन भी ठीक नहीं चल रहा था. इसी दौरान वह जगद्गुरु सांई मां के सानिध्य में आईं जिसके चलते वह सनातन से रूबरू हुईं और उनके जीवन को एक नयी दिशा मिली. आयरलैंड में बिक्री व विपणन के क्षेत्र में काम करने वाले डेविड हैरिंगटन का कहना है कि सनातन की सरलता उन्हें सात समंदर पार भारत की तरफ खींच लाई. सनातन एक ऐसी अकेली जीवन पद्धति है जो व्यक्ति पर कुछ थोपती नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि महाकुंभ के अद्भुत व पावन अवसर पर मैंने सनातन धर्म स्वीकार किया है जो मुझे असीम शांति व आनंद का अनुभव करा रहा है. फ्रांस में सॉफ्टवेयर इंजीनियर का काम करने वाले ओलिवियर गिउलिरी ने कहाए श्जीवन में सब कुछ होने के बाद भी एक अधूरापन था. जगद्गुरु साईं मां के सानिध्य में मेरे जीवन को एक नयी दिशा मिली और आज उनसे गुरु दीक्षा लेकर मैंने सनातन धर्म को अंगीकार किया. वहीं दूसरी ओर महाकुंभ में अखाड़ों ने कढ़ी-पकौड़ी भोज के साथ अपनी-अपनी ध्वजाओं की डोर ढीली करनी शुरू कर दी है. हालांकि महाकुंभ का मेला 26 फरवरी के स्नान के साथ संपन्न होगा लेकिन महाकुंभ की शान 13 अखाड़ों के लिए पूरी तरह प्रस्थान करने का समय अब आ गया है. महाकुंभ मेले के मुख्य आकर्षण अखाड़ों का बसंत पंचमी को अंतिम अमृत स्नान के बाद कढ़ी-पकौड़ी के भोज के साथ महाकुंभ मेले से प्रस्थान प्रारंभ हो गया है.
इनमें सन्यासी शिव के उपासक बैरागी राम व कृष्ण के उपासक, उदासीन पंच देव के उपासक संप्रदाय के सभी 13 अखाड़े शामिल हैं. जहां बैरागी संप्रदाय के पंच निर्वाणी अखाड़े के करीब 150 साधु-संत बसंत पंचमी के अगले ही दिन कढ़ी पकौड़ी भोज करके यहां से प्रस्थान कर चुके हैं. वहीं नागा संन्यासियों का जूना अखाड़ा सात फरवरी को कढ़ी पकौड़ी भोज करके यहां से प्रस्थान करना शुरू करेगा. जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया हमारे अखाड़े में सात फरवरी को कढ़ी पकौड़ी का भोज है जिसके बाद साधु-संत धर्म ध्वजा की तनी ;रस्सी या डोरद्ध को ढीला कर देंगे और यहां से प्रस्थान करना प्रारंभ कर देंगे.
उन्होंने बताया कि यहां से साधु संत काशी के लिए प्रस्थान करेंगे जहां वे महाशिवरात्रि तक प्रवास करेंगे व शोभा यात्रा निकालकर काशी विश्वनाथ का दर्शन करने के बाद मसाने की होली खेलेंगे एवं गंगा में स्नान करेंगे. इसके बाद वे अपने अपने मठों और आश्रमों के लिए रवाना होंगे.श् श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि काशी में जूना के साथ ही आवाहन और पंचअग्नि अखाड़े के साधु संत भी शोभा यात्रा निकालते हैं और मसाने की होली खेलकर और गंगा स्नान करके अपने अपने गंतव्यों के लिए रवाना होते हैं. उन्होंने बताया कि इसी तरहए बैरागी अखाड़ों में कुछ साधु.संत अयोध्या चले जाते हैं और कुछ वृंदावन चले जाते हैं जहां वे भगवान राम जी के साथ होली खेलते हैं.
वहीं उदासीन और निर्मल अखाड़े के साधु संत पंजाब आनंदपुर साहिब चले जाते हैं. श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़े से जुड़े अयोध्या के हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने बताया हमारे अखाड़े में बसंत पंचमी के अगले दिन ही कढ़ी पकौड़ी का भोज हो गया. करीब 150 साधु-संत मेला से प्रस्थान कर चुके हैं. ठाकुर जी को यहां से उठाने के बाद धर्मध्वजा की तनी ढीली की जाएगी. श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के अध्यक्ष श्रीमहंत महेश्वर दास जी महाराज ने बताया कि हमारे अखाड़े में भी सात फरवरी को कढ़ी पकौड़ी का कार्यक्रम होगा.