चंडीगढ़ | हरियाणा में गिरते लिंगानुपात (SRB) को लेकर सूबे की नायब सैनी सरकार अलर्ट मोड पर आ गई है. सरकार की ओर से आदेश जारी किया गया है कि प्रदेश में गर्भवती महिलाओं का गर्भ धारण के तीसरे महीने रजिस्ट्रेशन किया जाएगा. स्वास्थ्य विभाग की ओर से नोटिस जारी कर चेतावनी दी गई है कि यदि उनके क्षेत्रों में रजिस्ट्रेशन दर कम पाई गई, तो जिम्मेदार अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा.
आमतौर पर ये कवायद ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राउंड लेवल के हेल्थ कर्मचारियों द्वारा की जाती है, ताकि जिन महिलाओं को चिकित्सकीय सुविधाएं नहीं मिल पाती है, उन्हें प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत लाभ दिया जा सके, लेकिन हरियाणा सरकार जन्म के समय लिंगानुपात में सुधार के लिए पूरे राज्य में इस प्रक्रिया को बढ़ाने की कोशिश कर रही है.
कन्या भ्रूण हत्या पर लगेगा अंकुश
सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि हरियाणा का SRB 2023 में 916 से घटकर 2024 में 910 रिकॉर्ड किया गया है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यह निर्देश इसलिए जारी किया गया क्योंकि कई गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था के बाद के चरणों में सरकार के पास रजिस्ट्रेशन कराती हैं. इससे भ्रूण को एनीमिया और कम वजन जैसी समस्याओं से बचाने के लिए चिकित्सा उपचार उपलब्ध कराने में देरी होती है. इसके अलावा, जन्म पूर्व लिंग निर्धारण और कन्या भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाने के लिए शीघ्र रजिस्ट्रेशन को एक महत्वपूर्ण रणनीति माना जाता है.
इनकी तय की गई जिम्मेदारी
स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक मनीष बंसल जारी आदेश में कहा गया है, यह संज्ञान में आया है कि प्रसव पूर्व देखभाल (ANC) रजिस्ट्रेशन, जो पहली तिमाही में 100% होना चाहिए, जिलों में 50- 80% तक है. पहली तिमाही में 100% रजिस्ट्रेशन सुनिश्चित करने का निर्देश उनके द्वारा दिए गए हैं.
आदेश में कहा गया है कि स्वास्थ्य कर्मचारी जिनका प्रसव पूर्व तिमाही में ANC का पंजीकरण कम है (चिकित्सा अधिकारी, MPHW, आशा कार्यकर्ता) उन्हें काम न करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया जा सकता है. प्रसव पूर्व पंजीकरण के बिना जांच करने वाले किसी भी अल्ट्रासाउंड केंद्र को निर्देशों का पालन न करने के लिए नोटिस जारी किया जाएगा.
स्वास्थ्य विभाग के एक अनुभवी चिकित्सक ने बताया कि शिशुओं का स्वस्थ जन्म सुनिश्चित करने तथा कन्या भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाने के लिए शीघ्र पंजीकरण जरूरी है. अधिकांश गर्भपात शुरुआती तीन महीने के दौरान ही होते हैं, जो अक्सर प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण परीक्षणों के बाद होते हैं. गर्भवती महिलाओं की निगरानी और लिंग अनुपात में सुधार के लिए प्रारंभिक पंजीकरण बेहद जरूरी है.
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