चंडीगढ़ | देशभर में ट्रैफिक संचालन को सुगम बनाने की दिशा में नए हाइवे और एक्सप्रेसवे का जाल बिछाया जा रहा है. इसी कड़ी में भटिंडा से चंडीगढ़ के बीच समय और दूरी कम करने के लिए नेशनल हाईवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने एक नया प्रोजेक्ट तैयार किया है जिसके तैयार होने पर इन दोनों शहरों के बीच की दूरी 50 किलोमीटर घट जाएगी. अभी भटिंडा से चंडीगढ़ की दूरी 225 किलोमीटर है, जो बाद में कम होकर 175 किलोमीटर रह जाएगी.
NHAI ने तैयार किया नया प्रोजेक्ट
NHAI ने बरनाला से मोहाली आईटी सिटी के लिए अलग से नई सड़क बनाने का प्रोजेक्ट तैयार किया है. यह सड़क बरनाला से मलेरकोटला- सरहिंद- मोहाली तक बनेगी. फिलहाल, सरहिंद- मोहाली रोड निर्माणाधीन है, जबकि आने वाले समय में सरहिंद से बरनाला रोड का भी निर्माण शुरू किया जाएगा.
इस प्रोजेक्ट पर पिछले तीन साल से काम चल रहा है लेकिन अब इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम आगे बढ़ रहा है. बीच में किसी कारणवश सड़क निर्माण पर ब्रेक लग गया था, लेकिन अब फिर से निर्माण कार्य शुरू करने की तैयारियां हो चुकी है. यह सड़क मार्ग भटिंडा से लुधियाना तक बनने वाली सिक्स लेन रोड के साथ भी जुड़ेगा.
भटिंडा- चंडीगढ़ के बीच आसान होगा सफर
इस सड़क मार्ग के निर्माण से भटिंडा- चंडीगढ़ के बीच आवाजाही बेहद आसान हो जाएगी. NHAI की ओर से तैयार किए गए प्रोजेक्ट के अनुसार, इस ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे की लंबाई 110 किलोमीटर होगी जो बरनाला से मलेरकोटला, खन्ना बायपास, सरहिंद व मोहाली से होते हुए चंडीगढ़ को जोड़ेगा.
यह ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे लुधियाना से अजमेर तक बनने वाले इकोनॉमिक कोरिडोर से भी कनेक्ट होगा. इस सड़क मार्ग के बनने के बाद भटिंडा, मुक्तसर, अबोहर के अलावा राजस्थान के जो लोग भटिंडा के रास्ते चंडीगढ़ जाते हैं, उनके समय व पैसा दोनों की बचत होगी.
समय और पैसा दोनों की होगी बचत
वर्तमान में लोगों को भटिंडा से चंडीगढ़ जाने के लिए बरनाला, संगरूर, पटियाला होकर गुजरना पड़ता है. इस रूट से चंडीगढ़ का आवागमन करने पर निजी वाहन चालक का करीब 4 हजार रूपए ईंधन खर्च हो जाता है, लेकिन इस नए सड़क मार्ग के निर्माण से लोगों को बरनाला से चंडीगढ़ के लिए लिंक रोड मिल जाएगी जिसके बाद उनको संगरूर व पटियाला जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
नई सड़क बनने का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि 50 किलोमीटर की दूरी कम होने से आवागमन में 100 किलोमीटर का सफर कम हो जायेगा. ऐसे में वाहन चालकों का 600 रूपए तक ईंधन खर्च बचेगा. साथ ही, इस रूट पर ट्रैफिक दबाव कम होने से सफर को कम समय में तय किया जा सकेगा.
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