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बेहद दिलचस्प रहा पूर्व CM ओमप्रकाश चौटाला का सियासी सफर, पढ़ाई छोड़कर राजनीति में एंट्री; फिर जेल से पास की 10वीं- 12वीं


चंडीगढ़ | हरियाणा के 5 बार के मुख्यमंत्री एवं इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी (INLD) के सुप्रीमो चौधरी ओमप्रकाश चौटाला का आज निधन हो गया है. गुरुग्राम स्थित मेदांता हॉस्पिटल में उन्होंने 89 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. उनके आकस्मिक निधन से राजनीतिक गलियारों में शौक की लहर दौड़ गई है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, CM नायब सैनी, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा समेत कई राजनीतिक दिग्गजों ने उनके निधन पर शौक प्रकट करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है.

OM Prakash Chautala

सियासी माहौल में हुई परवरिश

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के परिवार की बात करें तो उनकी परवरिश सियासी माहौल के बीच हुई. उनके पिता स्वर्गीय चौधरी देवीलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री के अलावा देश के उपप्रधानमंत्री रह चुके थे. खुद ओमप्रकाश चौटाला 5 बार हरियाणा के मुख्यमंत्री और 7 बार विधायक रहे. उनके दोनों बेटे अजय चौटाला और अभय चौटाला कई बार विधायक रह चुके हैं. उनके पौते दुष्यंत चौटाला हरियाणा सरकार ने डिप्टी सीएम रहे हैं.

पढ़ाई को अलविदा कह राजनीति में एंट्री

1 जनवरी, 1935 को सिरसा जिले के चौटाला गांव में जन्मे ओमप्रकाश चौटाला के घर में शुरू से ही सियासी माहौल रहा है. यही कारण था कि बेहद कम उम्र में ही उनका झुकाव राजनीति की तरफ हो गया था. उन्होंने पढ़ाई पर ब्रेक लगाते हुए पिता देवीलाल की तरह सियासत का रूख कर लिया था. ओमप्रकाश चौटाला 5 बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन बतौर मुख्यमंत्री वो सिर्फ एक बार ही अपने कार्यकाल को पूरा कर पाए थे. साल 2000 में जब INLD ने हरियाणा में पूर्ण बहुमत हासिल किया था, उस समय ओमप्रकाश चौटाला पूरे 5 साल तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे.

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बेहद दिलचस्प है मुख्यमंत्री का सफर

1968 में राजनीति में एंट्री करने वाले ओमप्रकाश चौटाला के पांच बार मुख्यमंत्री बनने की कहानी बेहद दिलचस्प रही है. पहले ही चुनाव में उन्हें हार झेलनी पड़ी. फिर 1 साल बाद हुए चुनाव में वो पहली बार विधायक बने. 1989 में उन्होंने हरियाणा के सातवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, लेकिन महम उपचुनाव में धांधली के आरोप लगने पर पांच महीने बाद ही उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी.

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12 जुलाई साल 1990 को वह दूसरी बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने. लेकिन महम उपचुनाव में बूथ कैप्चरिंग के आरोपों के कारण पांच दिन बाद फिर से उनको सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा. 22 मार्च 1991 को ओमप्रकाश चौटाला ने तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाने पर उनकी सरकार को 14 दिन बाद बर्खास्त कर दिया गया. साल 1999 में उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाई और चौथी बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने. साल 2000 में इनेलो और बीजेपी ने मिलकर चुनाव लड़ा और पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई. यहां फिर ओमप्रकाश चौटाला पांचवीं बार मुख्यमंत्री बने.

घर से हुए बेदखल

कहा जाता है कि घड़ियों की स्मगलिंग के आरोप में बतौर मुख्यमंत्री रहते ओमप्रकाश चौटाला को दिल्ली एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया था, जिसके बाद पिता चौधरी देवीलाल ने उन्हें घर से बेदखल कर दिया था. साल 2000 में ओमप्रकाश चौटाला पर करीब 3,200 JBT टीचरों को गैरकानूनी तरीके से भर्ती करने का आरोप लगा. कोर्ट ने उन्हें इस मामले में भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश का दोषी करार देते हुए 10 साल जेल की सजा सुनाई. इस घोटाले में वह जुलाई 2021 में तिहाड़ जेल से रिहा हुए थे.

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जेल में रहकर पढ़ाई

पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले में तिहाड़ जेल में सजा काटते हुए कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण की थी, जिसकी चर्चा सियासी गलियारों में लंबे समय तक रही. कुल मिलाकर ओमप्रकाश चौटाला का सियासी सफर और उनके कारनामे काफी दिलचस्प रहे हैं. किसी- न- किसी वजह को लेकर ओमप्रकाश चौटाला सदैव सुर्खियों में बने रहें. उनका भाषण देने का अंदाज हर किसी के मन को मोह लेता है. राजनीतिक गलियारों में उनकी पहचान एक शानदार वक्ता के तौर पर रही, लेकिन आज उनके आकस्मिक निधन से पूरे देश व प्रदेश में शौक का माहौल बना हुआ है.


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