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पुरुष बीवी से सेक्स की मांग नहीं करेगा तो कहां जाएगा

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प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि पति-पत्नी के बीच यौन इच्छाओं का केस क्रूरता नहीं है. अगर पुरुष अपनी पत्नी से यौन सुख की मांग नहीं करेगा तो वो अपनी शारीरिक इच्छाओं को संतुष्ट करने के लिए कहां जाएगा.

दरअसल, नोएडा के महिला थाने में पत्नी ने पति के खिलाफ क्रूरता की एफआईआर कराई थी. इसमें कहा कि पति ने दहेज की मांग की. प्रताड़ित किया और अप्राकृतिक यौन संबंध बनाए. इस एफआईआर को निरस्त कराने के लिए पति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी.

कोर्ट ने एफआईआर की जांच के बाद पाया कि प्रताडऩा या मारपीट का कोई ठोस सबूत नहीं था. दोनों के बीच झगड़ा यौन इच्छाओं की संतुष्टि को लेकर था. पति यौन इच्छाओं की संतुष्टि के लिए रिलेशन बनाता था. जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता ने इंजीनियर पति की याचिका पर यह फैसला सुनाया.

9 साल पहले हुई थी शादी

पत्नी ने 23 जुलाई 2018 को एफआईआर दर्ज कराई. इसमें कहा कि इंजीनियर पति से उसकी शादी दिसंबर 2015 को हुई थी. पति और उसके परिवार ने दहेज की मांग की.  पत्नी ने यह भी आरोप लगाया कि पति शराब का आदी है. अननेचुरल सेक्स की मांग करता है. वह अक्सर पोर्न फिल्में देखता है और उसके सामने न्यूड घूमता है. जब उसने ऐसी हरकतों का विरोध किया, तो पति ने गला घोंटने की कोशिश की.

ससुराल में छोड़कर इंजीनियर पति सिंगापुर चला गया

पत्नी ने पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ धारा-498ए, 323, 504, 506, 509 और दहेज निषेध अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराया. इसमें पत्नी ने यह भी बताया कि पति उसे ससुराल वालों के पास छोड़कर सिंगापुर चला गया. 8 महीने बाद 27 जुलाई 2017 को जब वह सिंगापुर गई तो पति ने उसे फिर से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया.

पत्नी सबूत नहीं पेश कर पाई

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि पत्नी के आरोप सामान्य और अस्पष्ट थे. कोई ठोस सबूत नहीं पेश कर पाई. किसी भी स्थिति में पत्नी को कभी कोई शारीरिक चोट नहीं पहुंचाई गई. ऐसे में कोर्ट ने कहा- इस मामले के तथ्यों से यह कहना गलत होगा कि यह धारा 498-ए के तहत क्रूरता का मामला है. दहेज की किसी विशिष्ट मांग का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया. इसलिए कोर्ट ने इस मामले को रद्द कर दिया.