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हरियाणा में बिना AAP के नहीं बनेगी कोई सरकार, केजरीवाल के इस बयान ने बढ़ाया सियासी पारा

चंडीगढ़ | जैसे- जैसे विधानसभा चुनावों के मतदान का दिन नजदीक आ रहा है. तमाम राजनीतिक पार्टियों के दिलों की धड़कन बढ़ चुकी है. आए दिन कोई न कोई नेता कोई बयान दे देता है. उसके बाद राजनीतिक सरगर्मी तेज हो जाती है. शराब घोटाले मामले में जमानत पर बाहर आए अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) पहले से ही चल रही BJP- कांग्रेस की राजनीतिक रेस में शामिल हो गए हैं. कुल मिलाकर अब मुकाबला त्रिकोणीय हो चुका है.

Delhi Liquor Scam Arvind Kejriwal

जमानत के बाहर आने के बाद से ही लगातार अरविंद केजरीवाल एक्टिव नजर आ रहे हैं. हरियाणा विधानसभा चुनावों को लेकर भी वह काफी सजग नजर आए. बीते दिनों पार्टी के एक और दिग्गज नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी जमानत पर बाहर आए थे. अरविंद केजरीवाल ने जेल से बाहर आते ही दिल्ली के मुख्यमंत्री से पद से इस्तीफा दे दिया. राजनीतिक जानकार इसे भी चुनावी कदम बता रहे हैं. उसके बाद, 20 सितंबर को रोडशो के दौरान केजरीवाल ने एक बयान दिया जिससे हरियाणा में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई.

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बढ़ाया जोश

दरअसल, 20 सितंबर को हरियाणा में रोड शो के दौरान अरविंद केजरीवाल ने कहा कि बिना उनकी पार्टी के हरियाणा में कोई सरकार नहीं बनेगी. बता दें कि पार्टी के दो दिग्गज नेता काफी लंबे समय से जेल में बंद थे. हाल ही में, उन्हें जमानत मिली है. इसके बाद, इस तरह का बयान आप कार्यकर्ताओं के अंदर जोश और उत्साह बढ़ाने का काम कर गया. इस बयान ने उनके पार्टी समर्थकों के जोश में ईंधन डालने का काम कर दिया.

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किंग मेकर की भूमिका में आ सकते हैं नजर

जानकार अरविंद केजरीवाल के इस बयान के कई मायने निकल रहे हैं. प्रमुख तौर पर तो यह की आम आदमी पार्टी अब हरियाणा में भी अपने राजनीतिक विस्तार को लेकर काफी गंभीर है. पिछली बार हुए चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन हालांकि निराशाजनक था और 2019 के चुनाव में उन्हें एक परसेंट से भी कम वोट मिले थे. अबकी बार अगर पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ता है और 7 से 8 सीटें मिल जाती हैं तो यह हरियाणा में किंग मेकर की भूमिका में नज़र आ सकती है.

‘आप’ देगी किसका साथ?

90 विधानसभा सीटों वाले राज्य में किसी भी दल को सरकार बनाने के लिए 46 सीटों की आवश्यकता होती है. अगर किसी तीसरी पार्टी को पांच या उससे ज्यादा सीटें मिलती हैं, तो यह किसी भी सरकार को गिराने और बनाने में काफी निर्णायक भूमिका अदा कर सकती है. प्रदेश में आम आदमी पार्टी की रणनीति से साफ नजर आता है कि वह भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मुखर है. हालांकि, कांग्रेस को लेकर आम आदमी पार्टी ने चुप्पी साधी हुई है. हाल ही में लोकसभा चुनाव संपन्न हुए. उस समय आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक ही विपक्षी गठबंधन दल इंडिया में शामिल थे. अब ऐसे में अनुमान लगाए जा रहे हैं कि आगामी विधानसभा चुनावों के नतीजे के बाद दोनों दल साथ मिल सकते हैं.

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