कानूनगो और पटवारियों पर बिना डीएम या राजस्व अधिकारियों की मंजूरी और विभागीय जांच के एफआईआर दर्ज न करने के आदेश को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है। ऐसे में अब संज्ञेय अपराध की स्थिति में पुलिस या अन्य एजेंसी सीधे एफआईआर दर्ज कर सकेगी।
याचिका दाखिल करते हुए एडवोकेट एचसी अरोड़ा ने बताया कि राजस्व विभाग के विशेष सचिव ने 21 सितंबर, 2021 को डीजीपी को पत्र लिखकर बिना डीएम या राजस्व अधिकारियों की अनुमति के पटवारियों व कानूनगो पर एफआईआर का विरोध किया था।
पत्र में 16 मई, 2001 के आदेश का हवाला देते हुए बताया गया था कि तब बिना डीएम या राजस्व विभाग के अधिकारियों की अनुमति के इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज न करने का सभी जिलों के एसएसपी को आदेश दिया गया था। तब यह कहा गया था कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो झूठी शिकायतों से यह प्रताड़ित होंगे।
एफआईआर से छूट देना अन्य कर्मचारियों के साथ भेदभाव
पत्र के बाद गृह विभाग ने सभी एसएसपी को इसका पालन करने का निर्देश दिया था। याची ने कहा कि कानूनगो व पटवारी राजस्व अधिकारी नहीं बल्कि तृतीय श्रेणी के अधिकारी हैं। केवल इनको बिना विभागीय जांच के एफआईआर से छूट देना पंजाब के अन्य कर्मचारियों के साथ भेदभाव होगा।
हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ललिता कुमारी मामले में यह स्पष्ट कर चुका है कि संज्ञेय अपराध की सूचना पर जांच से पहले एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है। कानूनगो व पटवारियों को इस प्रकार एफआईआर से छूट देना सही नहीं है। इन टिप्पणियों के साथ ही हाईकोर्ट ने संज्ञेय अपराध की जानकारी पर इन अधिकारियों पर भी एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।