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आदमखोर भेडिय़ों को पकडऩे में यूज हो रही बच्चों के पेशाब से भीगी गुडिय़ा, जानें इसका कारण

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लखनऊ. उत्तर प्रदेश के बहराइच में आदमखोर भेडिय़ों का आतंक है. इन जंगली जानवरों के हमलों में अब तक आठ लोगों (सात बच्चे, 1 महिला) की मौत हुई है. इन्हें पकडऩे के लिए वन विभाग ने ऑपरेशन भेडिय़ा अभियान चलाया है. छह भेडिय़ों के झुंड में से चार को पकड़ लिया गया है. इन जानवरों को पकडऩे के लिए बच्चों के पेशाब से भीगी गुडिय़ा और खास तरह के ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है.

क्यों बच्चों के पेशाब से भीगी गुडिय़ा का हो रहा इस्तेमाल

अब तक इन आदमखोर भेडिय़ों ने बच्चों पर अधिक हमला किया है. बच्चे खुद का बचाव नहीं कर पाते इसलिए आसान शिकार बन जाते हैं. गंध सूंघने की शक्ति के मामले में भेडि़ए कुत्तों से बहुत आगे होते हैं. वे शिकार करने के लिए अपने इस ताकत का इस्तेमाल करते है. वन विभाग के अधिकारी भेडि़ए की इसी ताकत का इस्तेमाल उन्हें पकडऩे में कर रहे हैं. बच्चों के पेशाब से भीगी गुडिय़ा से निकलने वाली गंध से भेडि़ए को लगता है कि वहां छोटा बच्चा है. वे बच्चे के शिकार के लिए आते हैं तो वन विभाग के लोग उसे पकड़ सकते हैं.

वन अधिकारी अजीत प्रताप सिंह ने बताया है कि ये जानवर मुख्य रूप से बच्चों को अपना निशाना बनाते हैं. इसलिए हमने जाल के पास इंसान होने की झूठी जानकारी देने के लिए बच्चों के मूत्र में भिगोए हुए रंगीन कपड़े पहने बड़े मुलायम खिलौने रखे हैं. मानव गंध भेडिय़ों को जाल के करीब खींच सकती है.

थर्मल ड्रोन से रखी जा रही भेडिय़ों पर नजर

भेडिय़ों पर नजर रखने के लिए खास तरह के थर्मल ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है. भेडि़ए रात में शिकार के लिए निकलते हैं. इसलिए इन्हें आम कैमरे से देख पाना कठिन है. ड्रोन पर भी आम कैमरा हो तो वह रात में भेडिय़ों को नहीं देख सकता.

इस समस्या के हल के लिए ड्रोन पर थर्मल इमेजिंग कैमरा लगाया गया है. यह कैमरा किसी भी वस्तु से निकलने वाली गर्मी को पहचानकर उसकी तस्वीर बनाता है. भेडिय़ा गर्म खून वाला जानवर है. इसे रात में थर्मल इमेजिंग कैमरा से आसानी से देखा जा सकता है. अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि थर्मल ड्रोन से हम भेडिय़ों पर नजर रख रहे हैं. पटाखे फोड़कर और शोर मचाकर उन्हें जाल के पास के सुनसान इलाकों की ओर खदेडऩे की कोशिश हो रही है.