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मुश्किल में कंगना रनौत ! एसजीपीसी ने ‘इमरजेंसी’ फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की उठाई मांग

आरोप- सिखों के चरि को गलत तरीके से किया पेश
खबर खास, अमृतसर :
हिमाचल के मंडी से भाजपा सांसद और अभिनेत्री कंगना रनौत की आने वाली फिल्म इमरजेंसी की रिलीज से पहले शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और श्री अकला तखत साहिब के जत्थेदार ने प्रतिबंध लगाने की मांग उठाई है। फिल्म में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का पात्र निभा रही कंगना रनौत के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की भी मांग उठाई है। फिल्म छह सितंबर को रिलीज होनी है।एसजीपीसी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने यहां आरोप लगाया है कि इमरजेंसी फिल्म में सिखों के चरित्र को गलत तरीके से चित्रित किया गया है इसलिए इसपर तुरंत प्रतिबंध लगना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह फिल्म सिख विरोधी और पंजाब विरोधी शब्दावली के कारण विवादों में रहने वाली अभिनेत्री कंगना रनौत की ओर से सिखों का चरित्र हनन करने के लिए बनाई गई है और इसे समुदाया हरगिज बर्दाश्त नहीं करेगा।
धामी ने कहा कि इस फिल्म में 1984 के महान शहीदों के बारे में सिख विरोधी कहानी बनाकर देश का अपमान करने का घृणित कार्य किया है। उन्होंने कहा कि देश 1984 की सिख विरोधी क्रूरता को कभी नहीं भूल सकता और जरनैल सिंह खालसा भिंडरावाले को श्री अकाल तख्त साहिब ने राष्ट्रीय शहीद घोषित किया है, जबकि कंगना की फिल्म उनके चरित्र को मारने की कोशिश कर रही है।
एडवोकेट धामी ने कहा कि कंगना अकसर जानबूझकर सिखों की भावनाओं को भड़काने वाली बातें करती रही है। सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करने की बजाए उन्हें बचा रही है।
धामी ने कहा कि एक ओर मानवाधिकारों की बात करने वाले सिख कार्यकर्ता जसवंत सिंह खालड़ा के जीवन पर बनी फिल्म ‘पंजाब 95’ की रिलीज को 85 कट लगाने के बाद भी सेंसर बोर्ड की ओर से मंजूर नहीं किया गया जबकि सिख समुदाय के बारे में गलत तथ्य पेश करने वाली इमरजेंसी फिल्म को रिलीज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह दोहरे मापदंड देशहित में नहीं है, इसलिए सरकार को इस बारे में सोचने की जरूरत है।
धामी ने फिल्म सेंसर बोर्ड में सिख सदस्यों को भी शामिल करने की मांग करते हुए कहा कि सिख सदस्य की अनुपस्थिति के कारण एकतरफा फैसले लिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि एसजीपीसी ने कई बार अपनी बैठक् में प्रस्ताव पारित कर मांग की है कि उनके एक प्रतिनिधि को जरूर सेंसर बोर्ड में शामिल किया जाए लेकिन दुख की बात यह है कि सरकार इसपर अमल नहीं कर रही है