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UP : 70 फीसदी दलहनी फसल नष्ट, बीमा कंपनी ने किया सर्वे

हमीरपुर : उत्तर प्रदेश में दालों का कटोरा माने गये बुन्देलखंड क्षेत्र में इस वर्ष खरीफ की फसल में उड़द, मूंग एवं तिल की 70 फीसदी फसल बीते दिनों हुयी बारिश में नष्ट हो गयी है। इससे हमीरपुर जिले में दलहन की कम से कम 50 हजार हेक्टेयर में फसल नष्ट होने से करीब 08 हजार किसान प्रभावित हुये हैं। फसल बीमा कंपनी ने फसल के नुकसान का सर्वे कार्य पूरा कर लिया है। बीमा कंपनी ने फिलहाल 19 करोड़ रुपये की फसल नष्ट होने का दावा किया है।

उपकृषि निदेशक (डीडी) हरीशंकर भार्गव ने गुरुवार को बताया कि कुछ साल पहले तक बुन्देलखंड पूरे उत्तर प्रदेश के लिये दाल की आपूर्ति करता था, इसीलिये बुन्देलखंड को आज भी दाल का कटोरा कहा जाता है। इस साल भी तीन लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में किसानों ने दो लाख हेक्टेयर भूमि में खरीफ की फसल की बुआई की थी। इसमें सबसे ज्यादा भूभाग में दलहन उड़द, मूगं और तिल की फसल बोई गयी थी। पहले समय से बरसात न होने के कारण खरीफ की फसल बहुत विलंब से बोई गयी थी। जो फसल बाेई गयी उसमें इतनी ज्यादा बरसात हुई कि वह नष्ट होने की कगार पर आ गयी है।

उन्होने बताया कि इस साल फसली ऋण लेने वाले 52,300 किसान, फसल बीमा की श्रेणी में आते हैं। इस प्रकार कुल मिलाकर जिले में खरीफ फसल में 62,769 किसान बीमित है। यूनीवर्सल सोम्फो इंश्योरेंस कंपनी को बीमा का कृषक अंश 02 करोड़ 91 लाख 97 हजार रुपये पहुंच गया है। इसी प्रकार कंपनी को बीमा के रूप में केन्द्र सरकार से 09 करोड़ 50 लाख 13 हजार रुपये और इनती ही राशि राज्य सरकार से प्राप्त होगी।

बीमा कंपनी के जिला समन्यवक (डीसी) सौरभ तिवारी ने बताया कि उड़द की फसल में एक हेक्टेयर में 26,539 रुपये, मूंग की फसल में 28,905 रुपये, तिल की फसल में एक हेक्टेयर में 14,332 रुपये की क्षतिपूर्ति दी जायेगी। उन्होंने बताया कि फिलहाल 32 हजार किसानों को 19 करोड़ रुपये की बीमा राशि वितरित की जायेगी। किसानों से फसल नुकसान के अभी दावे मांगे गये है। किसान बलराम दाती, रामशरण और रामकिशोर ने बताया कि यह पहला मौका है जब खरीफ में इतने व्यापक पैमाने पर किसानों को क्षति उठानी पड़ी है।

भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष निरंजन सिंह राजपूत ने बताया कि बुंदेलखंड में खरीफ की फसल बहुत ही कम मात्रा में बोयी जाती है। इस साल अतिवृष्टि से ज्यादातर फसल नष्ट हो गयी है। जिससे किसानों की कृषि लागत भी बरसात में बह गयी है। किसान बेहद परेशान है। वहीं आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ प्रियेंश रंजन मालवीय का कहना है कि बरसात की फसल नष्ट होने के लिये शासन से आयी धनऱाशि वितरित की जा रही है। इसके लिये 02 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट मागा गया है। बीमा की धनराशि कंपनी अलग से देगी।