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कैंची धाम में 15 जून को होगा प्रसिद्ध भंडारे का आयोजन,प्रति वर्ष पहुँचते हैं लाखों भक्त

देहरादून।हर साल की तरह इस साल भी कैंची धाम में 15 जून 2022 को प्रसिद्ध भंडारे का आयोजन किया जाएगा जहाँ एक लाख से ज्यादा लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं। इस दिन भक्तों और आने वाले वाहनों की संख्या इतनी ज्यादा होती है कि जिला प्रशासन को इसके लिए विशेष व्यवस्था तक करनी पड़ती है। कहते हैं कि भोजन ग्रहण करने वालों कि संख्या अधिक होने पर भी कभी भोजन की कमी यहाँ नहीं होती क्योंकि इस दिन नीम करोली बाबा (Maharajji) स्वयं इस भंडारे की देख रेख करते हैं और किसी भी चीज़ की कमी नहीं होने देते। कैंची आश्रम में हनुमानजी और अन्य मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा 15 जून को अलग अलग वर्षों में की गई थी। इस तरह से 15 जून को प्रतिवर्ष प्रतिष्ठा दिवस के रूप में मनाया जाता है| नीम करोली बाबा (Maharajji) ने स्वयं भी कैंची धाम का प्रतिष्ठा दिवस 15 जून को तय किया था। नीम करोली बाबा (Maharajji) ने 10 सितंबर 1 9 73 को महासमाधि ली थी और भौतिक शरीर को छोड़ा था। उनके अस्थि कलश को कैंची धाम में स्थापित किया गया था। और इस तरह बाबा के मंदिर का निर्माण कार्य 1 9 74 में शुरू हुआ। निर्माण कार्य में लगे कारीगरों/श्रमिकों और स्वयंसेवकों ने स्नान कर और स्वच्छ कपड़े पहन कर ही कार्य शुरू किया और हनुमान चालीसा के पाठ और “महाराज की जय” का उद्घोष किया। वहां मौजूद बाबा के भक्तों ने भी हनुमान चालीसा पाठ तथा श्री राम-जय राम-जय जय राम नाम का कीर्तन किया था। माताओं ने ईंटों पर “राम” लिखकर उन्हें श्रमिकों के पास भेजा। उस समय पूरा वातावरण “बाबा नीम करोली महाराज की जय” के जप से गूँज उठा था। कहते हैं भक्तों की भावना से अभिभूत हो कर और बाबा की कृपा से इन सभी कार्यकर्ताओं पर विश्वकर्मा (देवताओं के वास्तुकार) की विशेष कृपा हुई और उन्होंने कुशलता से अपना कार्य पूर्ण किया। 15 जून 1 976 को महाराजजी की मूर्ति की स्थापना और अभिषेक का दिन था। स्थापना और अभिषेक समारोह से पहले भागवत सप्ताह और यज्ञ का आयोजन किया गया। भक्तों ने कलश स्थापित किया और घंटियों तथा शंखनाद के साथ मंदिर पर ध्वज फहराया। उस समय सभी ने नीम करोली बाबा की भौतिक उपस्तिथि को महसूस किया। फिर वैदिक मंत्रोचार के साथ विशिष्ट विधि से बाबा की मूर्ति की स्थापना हुई। और नीम करोली बाबा (Maharajji ) कैंची धाम में गुरुमूर्ति रूप में विराजित हुए।