भारत में कई ऐसे भी परिवार हैं जहां प्रभु भैरव की कुल देवता के तौर पर आराधना की जाती है. ऐसी भी मान्यता है कि कलयुग में भगवान भैरव की उपासना करने से मनुष्य को भय, संकट तथा दुश्मन बाधा से शीघ्र ही मुक्ति प्राप्त होती है. वैसे तो काल भैरव का नाम सुनते ही मनुष्य को डर लगता है किन्तु सच्चे मन से भगवान भैरव की पूजा करने से मनुष्य का जीवन बदल जाता है. यहां तक की इंसान की कुंडली में शनि, राहु या केतु की महादशा होने पर यदि भगवान भैरव की उपासना की जाए तो मनुष्य को सभी कष्टों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है. आइए जानते है भगवान भैरव की उपासना के दिन एवं मंत्र के बारे में...
भगवान भैरव अपने भक्त की आठों दिशाओं से करते है रक्षा: भगवान भैरव के कुल 08 स्वरुप (चंड भैरव, बटुक भैरव, रूरू भैरव, क्रोध भैरव, उन्मत भैरव, कपाल भैरव, भीषण भैरव एवं संहार भैरव) माने गए है. ऐसा माना जाता है कि जो भी आदमी भगवान भैरव के इन आठ स्वरूपों के नामों को याद करता है भगवान भैरव उसकी आठों दिशाओं से रक्षा करते हैं.
इस दिन करनी चाहिए भगवान भैरव की पूजा:वैसे तो भगवान भैरव की उपासना किसी भी दिन किया जा सकता है किन्तु भैरव अष्टमी, रविवार, बुधवार तथा बृहस्पतिवार के दिन इनकी आराधना करना श्रेष्ठ एवं खास फलदाई माना जाता है.
भगवान भैरव की पूजा के मंत्र:जिस प्रकार से किसी देवी-देवता की उपासना में मंत्र जाप की खास सम्मान होती है उसी प्रकार से भगवान भैरव के मंत्रों का जाप खास फलदाई होता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान भैरव के मन्त्रों का जाप स्फटिक की माला से करने पर जीवन की सभी प्रकार की परेशानियां या संकट खत्म हो जाते हैं.
भगवान भैरव के मंत्र-
ॐ कालभैरवाय नमः .
ॐ भयहरणं च भैरवः .
ॐ भ्रां कालभैरवाय फट् .
ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं.