नए कृषि कानूनों के खिलाफ 17 दिन से दिल्ली घेरकर बैठे किसानों से बात कर रहे केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने लगातार दूसरे दिन उनके आंदोलन को लेकर तीखी टिप्पणी की।
गोयल ने शनिवार को कहा कि यह विरोध अब किसान आंदोलन नहीं रह गया है, क्योंकि इसमें वामपंथियों और माओवादियों की घुसपैठ हो गई है। ये घुसपैठिए ही देश विरोधी गतिविधियों के लिए सलाखों के पीछे बंद लोगों की रिहाई की मांग कर रहे हैं। इससे सरकार की तरफ से लाए जा रहे कृषि सुधार स्पष्ट तौर पर पटरी से उतर गए हैं।
हालांकि गोयल ने यह नहीं बताया कि क्या सरकार आंदोलन के दौरान दिखाई दिए प्रतिबंधित संगठनों से जुड़े लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई की योजना बना रही है। उन्होंने कहा, हमें अब अहसास हुआ है कि कथित किसान आंदोलन मुश्किल से किसानों का आंदोलन बचा है। इसमें तकरीबन पूरी तरह से वामपंथी और माओवादी तत्वों की घुसपैठ हो गई है, जिसका असर हम पिछले दो दिन से देश विरोधी गतिविधियों के कारण जेल में बंद लोगों को रिहा करने जैसी बाहरी मांगों के तौर पर देख रहे हैं।
रेलवे, खाद्य और वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय संभाल रहे गोयल ने फिक्की की वार्षिक बैठक में कहा, किसानों के मंच से कथित बुद्धिजीवियों और कवियों की रिहाई की मांग स्पष्ट रूप से दिखाती है कि कृषि कानून सुधार को पटरी से उतारने का प्रयास शायद ऐसे लोग कर रहे हैं, जो भारत के लिए अच्छे नहीं हैं। उन्होंने फिक्की से जुड़े लोगों समेत सभी बिजनेस दिग्गजों और बुद्धिजीवियों से नए कृषि कानूनों के लाभ को लेकर किसी भी तरह का शक होने की स्थिति में सरकार से बात करने की अपील की।
गोयल ने आश्वासन दिया कि नए कानून देश भर में करीब 10 करोड़ किसानों के लाभ के लिए अच्छे साबित होंगे। उन्होंने कहा, किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध सरकार, जिसने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के तहत खरीद को दोगुना कर दिया, जिसे गलत तरीके से पेश किया गया। इस सरकार ने किसानों को अपने उत्पादन खर्च से लगभग 50 फीसदी ज्यादा रकम मिलना सुनिश्चित किया।
कृषि बजट को करीब छह गुना बढ़ाया और कृषि क्षेत्र में 1.34 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है। उन्होंने उद्योग जगत के दिग्गजों को अपने प्रभाव क्षेत्र के तहत रहने वाले किसानों को शिक्षित करने की अपील की। गोयल की टिप्पणी के बाद पूर्व फिक्की अध्यक्ष और भारती एंटरप्राइजेज के उपाध्यक्ष राजन भारती मित्तल ने भी सरकार पर टिप्पणी की।